काबा शरीफ की तरफ मुंह कर के ऊंची जगह बैठना मुस्ताहब है, वुजु के लिए नियत करना सुन्नत है, नियत ना हो तब भी वुजू हो जायेगा मगर सवाब नही मिलेगा। दिल में नियत होते हुए ज़बान से भी कह लेना अफ़ज़ल है। लिहाज़ा ज़ुबान से नियत इस तरह कीजिए, के " में हुकुमे इलाही बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिए वुजू कर रहा हूं। बिस्मिल ल्लाह कह लीजिए के ये भी सुन्नत है, बल्कि बिस्मिल्लाही वल हमदू लिल्लाह कह लीजिए के जब तक बा वजू रहेंगे फरिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे। अब दोनों हाथों को कलाइयों तक 3 3 बार धोइए, दोनों हाथों की उंगलियों का खिलाल भी कीजिए। कम से कम 3 3 बार दाएं बाएं ऊपर नीचे के दांतों में मिसवाक कीजिए और हर बार मिसवाक धो लीजिए। अब सीधे हाथ के 3 चुल्लू पानी से इस तरह 3 कुल्लियां कीजिए के हर बार मुंह के हर पुर्जे पर हलक के किनारे तक पानी बह जाए। अगर रोज़ा न हो तो गर गरा भी कर लीजिए।
फिर सीधे ही हाथ के 3 चुल्लू पानी से 3 बार नाक में नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाइये। और अगर रोज़ा न हो तो नाक की जड़ तक पानी पहुंचाइए। अब उल्टे हाथ से नाक साफ कीजिए। और छोटी उंगली नाक के सुराखों में डालिए। 3 बार सारा चेहरा इस तरह धोइए के जहां से आदतन सर के बाल उगना शुरू होते हैं, वहां से लेकर थोड़ी के नीचे तक, और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए। अगर दाढ़ी है तो इस तरह खिलाल कीजिए के उंगलियों को गले की तरफ से दाखिल कर के सामने की तरफ निकालिए। फिर पहले सीधा हाथ उंगलियों के सिरे से धोना शुरू कर के कुहनियों समेत तीन बार धोइए। इसी तरह फिर उल्टा हाथ धोइए। दोनों हाथ आधे बाजू तक धोना मुस्ताहब है। अक्सर लोग चुल्लू में पानी लेकर कलाइयों से तीन बार इस तरह छोर देते हैं के कुहनियो तक बहता चला जाता है। इस तरह करने से कोहनी और कलाई की करवट पर पानी न पहुंचने का अंदेशा है। लिहाज़ा बयान किए हुए तरीके पर हाथ धोइए। अब चुल्लू भर कोहनी तक पानी बहाने की जरूरत नहीं, बालिक ये पानी की फुजूल खर्ची है। अब सर का मसह इस तरह कीजिए के दोनो अंगूठों और कलमे की उंगलियों को छोड़ कर दोनों हाथ की तीन तीन उंगलियों के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिए। और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर खींचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइए के हथेलियां सर से जुदा रहें, फिर गुद्दी से हथेलियां खींचते हुए पेशानी तक ले आइए। कलमे की उंगलियां और अंगूठे इस दौरान सर पर बिल्कुल मस नहीं होने चाहिए। फिर कलमे की उंगलियों से कानों के अंदरूनी हिस्सों का और अंगूठे से कानों के बाहर का मसह कीजिए। और छोटी उंगली कानों के सुराखों में दाखिल कीजिए। और उंगलियों की पीठ से गर्दन के पिछले हिस्से का मसह कीजिए। कुछ लोग गले का और धुले हाथों की कोहनियों का मसह करते हैं ये सुन्नत नहीं है। फिर पहले सीधा पैर और फिर उल्टा पैर हर बार उंगलियों से शुरू कर के टखनों के ऊपर तक बल्कि मुस्ताहब है के आधी पिंडली तक तीन बार धो लीजिए। दोनों पांव की उंगलियों का खिलाल करना सुन्नत है। खिलाल का मुस्ताहब तरीका ये है के उल्टे हाथ की छोटी उंगली से सीधे पांव की छोटी उंगली का खिलाल शुरू कर के अंगूठों पर खत्म कीजिए। और उल्टे ही हाथ की छोटी उंगली से उल्टे पांव के अंगूठे से शुरू कर छोटी उंगली पर खत्म कीजिए
फिर सीधे ही हाथ के 3 चुल्लू पानी से 3 बार नाक में नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाइये। और अगर रोज़ा न हो तो नाक की जड़ तक पानी पहुंचाइए। अब उल्टे हाथ से नाक साफ कीजिए। और छोटी उंगली नाक के सुराखों में डालिए। 3 बार सारा चेहरा इस तरह धोइए के जहां से आदतन सर के बाल उगना शुरू होते हैं, वहां से लेकर थोड़ी के नीचे तक, और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए। अगर दाढ़ी है तो इस तरह खिलाल कीजिए के उंगलियों को गले की तरफ से दाखिल कर के सामने की तरफ निकालिए। फिर पहले सीधा हाथ उंगलियों के सिरे से धोना शुरू कर के कुहनियों समेत तीन बार धोइए। इसी तरह फिर उल्टा हाथ धोइए। दोनों हाथ आधे बाजू तक धोना मुस्ताहब है। अक्सर लोग चुल्लू में पानी लेकर कलाइयों से तीन बार इस तरह छोर देते हैं के कुहनियो तक बहता चला जाता है। इस तरह करने से कोहनी और कलाई की करवट पर पानी न पहुंचने का अंदेशा है। लिहाज़ा बयान किए हुए तरीके पर हाथ धोइए। अब चुल्लू भर कोहनी तक पानी बहाने की जरूरत नहीं, बालिक ये पानी की फुजूल खर्ची है। अब सर का मसह इस तरह कीजिए के दोनो अंगूठों और कलमे की उंगलियों को छोड़ कर दोनों हाथ की तीन तीन उंगलियों के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिए। और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर खींचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइए के हथेलियां सर से जुदा रहें, फिर गुद्दी से हथेलियां खींचते हुए पेशानी तक ले आइए। कलमे की उंगलियां और अंगूठे इस दौरान सर पर बिल्कुल मस नहीं होने चाहिए। फिर कलमे की उंगलियों से कानों के अंदरूनी हिस्सों का और अंगूठे से कानों के बाहर का मसह कीजिए। और छोटी उंगली कानों के सुराखों में दाखिल कीजिए। और उंगलियों की पीठ से गर्दन के पिछले हिस्से का मसह कीजिए। कुछ लोग गले का और धुले हाथों की कोहनियों का मसह करते हैं ये सुन्नत नहीं है। फिर पहले सीधा पैर और फिर उल्टा पैर हर बार उंगलियों से शुरू कर के टखनों के ऊपर तक बल्कि मुस्ताहब है के आधी पिंडली तक तीन बार धो लीजिए। दोनों पांव की उंगलियों का खिलाल करना सुन्नत है। खिलाल का मुस्ताहब तरीका ये है के उल्टे हाथ की छोटी उंगली से सीधे पांव की छोटी उंगली का खिलाल शुरू कर के अंगूठों पर खत्म कीजिए। और उल्टे ही हाथ की छोटी उंगली से उल्टे पांव के अंगूठे से शुरू कर छोटी उंगली पर खत्म कीजिए