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सवाल: नमाज में जो चीज़ें वाजिब हैं, उन्हें बताएँ?
जवाब: नमाज में ये चीज़ें वाजिब हैं:
- तकबीर-ए-तहरीमा में लफ़्ज़ "अल्लाहु अकबर" होना।
- अल्हम्दु" पढ़ना।
- फ़र्ज़ की दो पहली रकातों में और सुन्नत, नफ़ल और वित्र की हर रकात में "अल्हम्दु" के साथ सूरह या तीन छोटी आयत मिलाना।
- फ़र्ज़ नमाज में दो पहली रकातों में क़िरअत करना।
- अल्हम्दु" के सूरह से पहले होना।
- हर रकात में सूरह से पहले एक ही बार "अल्हम्दु" पढ़ना।
- अल्हम्दु" और सूरह के दरमियान किसी अजनबी का फ़ासिल ना होना।
- क़िरअत के बाद मुत्सलन (फ़ौरन) रुकू करना।
- सजदा में दोनों पांव की तीन-तीन उंगलियों का पेट ज़मीन पर लगाना।
- दोनों सजदों के दरमियान कोई रुक्न फ़ासिल ना होना।
- तअदील-ए-अर्कान, क़ौमा यानी रुकू से सीधा खड़ा होना।
- जल्सा यानी दोनों सजदों के दरमियान सीधा बैठना।
- क़अदा-ए-उला में तशह्हुद के बाद कुछ नहीं पढ़ना।
- हर क़अदा में पूरा तशह्हुद पढ़ना।
- लफ़्ज़ "अस्सलामु" दो बार कहना।
- वित्र में दुआ-ए-क़ुनूत पढ़ना।
- तकबीर-ए-क़ुनूत
- ईदैन की ३ तकबिरें।
- ईदैन में दूसरी रकात की तकबीरे रुकू और उस तकबीर के लिए लफ़्ज़ "अल्लाहु अकबर" होना।
- हर जहरी नमाज़ में इमाम को जहर (बुलंद आवाज़) से क़िरअत करना और गैर-जहरी में आहिस्ता।
- हर वाजिब और फ़र्ज़ का उसकी जगह पर होना।
- रुकू का हर रकात में एक ही बार होना और सजदा का दो ही बार होना।
- दूसरी से पहले क़अदा न करना और चार रकात वाली में तीसरी पर क़अदा न होना।
- आयते सजदा पढ़ी तो सजदा तिलावत करना और सहू हो तो सजदा सहू करना।
- दो फ़र्ज़ या दो वाजिब या वाजिब-फ़र्ज़ के दरमियान तीन तस्बीह की मिकदर वक़्फ़ न होना।
- इमाम जब क़िरअत करे बुलंद आवाज़ से या आहिस्ता, उस वक़्त मुक्तादी का चुप रहना, और सिवा क़िरअत के तमाम वाजिबात में इमाम की इता'त करना।"