तरावीह का बयान

Barkati Kashana
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सवाल: तरावीह सुन्नत है या नफ़्ल..?
जवाब: तरावीह मर्द और औरत सब के लिए सुन्नत-ए-मुअक्कदा है। इसका छोड़ना जाइज़ नहीं।
सवाल: तरावीह की कितनी रिकात हैं..?  Roman English Me Padhiye
जवाब: तरावीह की 20 रिकात हैं।
सवाल: 20 रिकात तरावीह की क्या हिकमत है...?
जवाब: 20 रिकात तरावीह में हिकमत यह है कि सुन्नतों से फराइज़ और वाजिबात की तकमील होती है, और सुबह से शाम तक फर्ज और वाजिब 20 रिकात हैं, तो मुनासिब हुआ कि तरावीह भी 20 रिकात हो ताकि मुकम्मल करने वाली सुन्नतों की रिकात और जिन की तकमील होती है यानी फर्ज और वाजिब की रिकात की तादाद बराबर हो जाए।
सवाल: तरावीह की 20 रिकात किस तरह पढ़ी जाए..?
जवाब: 20 रिकात 10 सलाम से पढ़ी जाए यानी हर 2 रिकात पर सलाम फेरा जाए और हर तरवीहा यानी 4 रिकात पर इतनी देर बैठना मुस्तहब है कि जितनी देर में 4 रिकात पढ़ी हैं।
सवाल: तरावीह की नियत किस तरह की जाए...?
जवाब: नियत कि मैंने 2 रिकात नमाज़ सुन्नत रसूल अल्लाह की अल्लाह ताअला के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह अकबर।
सवाल: तरवीहा की हालत में चुपके बैठा रहे या कुछ पढ़े...?
जवाब: इख्तियार है चाहे चुप बैठा रहे चाहे कल्मा या दुरूद शरीफ पढ़े और आम तौर पर तरावीह की यह दुआ पढ़ी जाती है

सवाल: तरावीह जमात से पढ़ना कैसा है
जवाब: तरावीह जमात से पढ़ना सुन्नते किफाया है यानी अगर मस्जिद में तरावीह की जमात ना हुई तो मुहल्ले के सभी लोग गुनाहगार होंगे और अगर कुछ लोगों ने मस्जिद में जमात से पढ़ लिया तो सभी बरिअज़ ज़िम्मा हो गए।
सवाल: तरावीह में कुरान मजीद मुकम्मल करना कैसा है...?
जवाब: पूरे महीने की तरावीह में एक बार कुरान मजीद खत्म करना सुन्नते मुअक्कदा है और 2 बार खत्म करना अफ़्ज़ल है और 3 बार करना मज़ीद अफ़ज़लियत रखता है। 
सवाल: बिला उज़्रे शरई बैठ कर तरावीह पढ़ना कैसा है...?
जवाब: बिला उज़्र तरावीह बैठ कर पढ़ना मक्रूह है, बल्कि बाद फुक़हा-ए-किराम की नज़दीक तो नमाज़ होगी ही नहीं।
सवाल: कुछ लोग शुरू रिकात से शरीक नहीं होते बल्कि जब इमाम रुकू में जाने लगता है तो शरीक होते हैं, उनके लिए क्या हुक़्म है...?
जवाब: ना जाइज़ है, ऐसा हरगिज़ नहीं करना चाहिए कि इसमें मुनाफ़िकीन से मुशाबिहत पाई जाती है।

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