- हज़रत सुलेमान अलैहिस सलाम के दौर का दार-उल-हुकुमत यही था, यही से आप ने पूरे दुनिया पर हुकुमत की।
- फिलिस्तीन, अम्बिया-ए-करम अलैहिमुस सलाम की जाए सुकूनत रहा है।
- हज़रत दाऊद अलैहिस सलाम की इबादत गाह यही थी।
- हज़रत ज़करिया अलैहिस सलाम की इबादत गाह यही है।
- कुरआन-ए-करीम में तालूत और जालूत का वाक़िआ मौजूद है जो के फिलिस्तीन में पेश आया।
- हज़रत ईसा अलैहिस सलाम की पैदाइश के मौके पर हज़रत मरियम अलैहिस सलाम ने जिस खजूर के दरख्त की एक टहनी को हिलाया था, वह इसी जगह थी।
- क़ियामत से क़ब्ल हज़रत ईसा अलैहिस सलाम 'शाम' में आसमान से एक सफ़ेद मिनारे पर उतरेंगे और फिलिस्तीन में 'बाबे लुद' के क़रीब दज्जाल को क़त्ल करेंगे।
- हज़ूर अक्रम ﷺ को मिराज की रात में आसमानों से पहले बैत-उल-मुकद्दस ले जाया गया, बैत-उल-मुकद्दस आप की पहली मंज़िल बना, मक्कह मुकर्रमा से रवाना होने के बाद आप यहाँ ठहरे।
- यही अनबिया-ए-करम अलैहिमुस सलाम को नमाज़ पढ़ाई, क्यूंके बैत-उल-मुकद्दस अनबिया-ए-करम अलैहिमुस सलाम की जाए कियाम है।
- हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्हु जब ख़लीफ़ा बने तो उन्होंने ज़ज़ीरा अरब में मुर्तद होने वाले लोगों के मुकाबला के लिए लश्कर भेजे ताके उन्हें सहीह इस्लाम की तरफ़ लौटाएं। इस मौक़े पर ज़ज़ीरा अरब में अमन और सुकून लाने के लिए उन्हें हर इंसानी ताक़त की ज़रूरत थी, लेकिन इन मुश्किल हालात में भी हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्हु ने इस लश्कर को नहीं रोका जिसको हज़ूर अक्रम ﷺ ने शाम जाने का हुक्म दिया था।
- हज़रत अबु ज़रर रज़ि अल्लाहु अन्हु ने रसूलुल्लाह ﷺ से पूछा: सब से पहले किस मस्जिद की बुन्याद रखी गई थी? आप अलैहिस सलाम ने फ़रमाया: मस्जिद हराम (मक्कह मुकर्रमा), फिर पूछा: इस के बाद कौनसी मस्जिद बनी? आप ﷺ ने फ़रमाया: अक्सा, फिर पूछा: दोनों की तमीर के दौर में कितना अरसा गुज़रा? आप ने फ़रमाया: चालीस (साल) (मुत्तफ़िक़ अलैह).
- फ़िलस्तीन और शाम में लगभग पांच हज़ार सहाबा-ए-करम रज़ि अल्लाहु अन्हुम शहीद हुए हैं, जो बैत-उल-मुकद्दस को फ़तह करके उसे रूमीयों के ज़ुल्म से आज़ाद करना चाहते थे, ये शहीदा और अनबिया-ए-करम (अलैहिस सलाम) की सरज़मीन है।
- हज़रत उमर फारूक रज़ि अल्लाहु अन्हु अपनी ख़िलाफ़त के ज़माने में फ़िलस्तीन के अलावा किसी मुल्क या शहर की फ़तह के मौके पर मदीना मुनव्वरा से बाहर नहीं निकले, अल्बत्ता फ़िलस्तीन की फ़तह के मौके पर वह ख़ुद तशरीफ लाए, और सुलह करके उसे फ़तह किया, यहाँ नमाज़ पढ़ी, चाबियाँ वसूल की, इस वक़्त रूमियों के ज़ुल्म से ऐसियों को निज़ात दिलाई।
फलस्तीन से मोहब्बत ज़रूरी....क्यों ? ( पार्ट 3 )
October 21, 2023
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