नमाज़ की शर्तें

Barkati Kashana
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Hawala | Anware Shariyat


सवाल: नमाज़ की शर्तें कितनी हैं...?

जवाब: नमाज़ की छह शर्तें हैं जिनके बग़ैर नमाज़ सिरे से (यानी शुरू) होती ही नहीं:

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1. तहारत:

    यानी नमाज़ी के बदन, कपड़े और उस जगह का पाक होना जिस पर नमाज़ पढ़ी जाए।

2. सतरे औरत:

    यानी मर्द को नाफ़ से घुटने तक छुपाना और औरत को सिवाए चेहरा, हथेली और क़दम के पूरा बदन छुपाना, औरत अगर इतना बारीक दुपट्टा ओढ़ कर नमाज़ पढ़े जिस से बाल की सियाही चमके तो नमाज़ नहीं होगी, जब तक के उस पर कोई ऐसी चीज़ न ओढ़े जिस से बाल का रंग छूप जाए।

3. इस्तक़बाले क़िब्ला:

    यानी नमाज़ में क़िब्ला की तरफ़ मुंह करना, अगर क़िब्ला की सिम्त (डायरेक्शन) में शुबहा (यानी शक) हो तो किसी से दरियाफ्त करें, अगर कोई दूसरा मौजूद नह हो तो गौर ओ फ़िक्र करने के बाद जिधर दिल जमे उसी तरफ़ मुंह कर के नमाज़ पढ़ लें, फिर अगर नमाज़ के बाद मालूम हुआ के क़िब्ला दूसरी तरफ़ था तो कोई हरज नहीं नमाज़ हो गई।

4. वक़्त:

    लिहाज़ा वक़्त से पहले नमाज़ पढ़ी तो ना हुई।

5. नियत:

    यानी दिल के पक्के इरादे के साथ नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है और ज़बान से नियत के अल्फाज़ कह लेना मुस्तहब है, इस में अरबी की तखसीस नहीं, उर्दू वगैरह में भी हो सकती है। और यूं कहें, नियत की मैं ने। और "नियत करता हूँ मैं" नह कहें।

6. तकबीरे तहरीमा:

    यानी नमाज़ के शुरू में "अल्लाहु अकबर" कहना शर्त है।


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